About the Book | |
Author of book | Dr. Vivek Dwivedi |
Book's Language | Hindi |
Book's Editions | First |
Type of binding | Hardcover |
Pages of book | 176 |
Publishing Year of book | 2023 |
- Availability: In Stock
- Model: BHB-584
- ISBN: 9789385804922
'अलविदा कावेरी' - एक प्रेम कहानी है कोई नई बात नहीं है दो युवा दिल बचपन में ग्रामीण परिवेश में रहते थे, खेल-खेल में एक दूसरे को दिल दे बैठते हैं लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह प्रेम भले दिलों में स्थाई बस गया हो। परन्तु ऐसे मोड़ पर जा पहुँचेगा जहाँ से जिंदगी ही अपना रास्ता बदल देगी। एक अत्यंत महत्वपूर्ण कहानी है 'भीड़ में शामिल '- यह कहानी कश्मीर में हो रही टारगेट किलिंग पर है। कश्मीर में भले हिंसा का दौर जारी है लेकिन कई परिवार ऐसे भी हैं जो इसके सख्त खिलाफ हैं। एक माँ अपने इकलौते बेटे को भी सजा देने से पीछे नहीं हटती । उसके लिए मानवता प्रमुख होती है। एक कहानी है ‘भूख'- एक माँ जो पूरी जिंदगी परिवार के बोझ को खुशी-खुशी अपने कंधे पर ढोती है बेटे से एक ही बात कहती है। जब तक भूख है तभी तक समझना मैं जिंदा हूँ। माँ भूख के सही मायने को परिवार में समझाने की कोशिश करती है। एक कहानी है 'नेपथ्य का परिदृश्य'- आज की युवा बेरोजगार पीढ़ी पर आधारित है। रोजगार के अभाव ने कितने परिवारों की जिंदगी उजाड़कर रख दी है। 'बिजली, पानी और पुआल' में एक भारतीय किसान किस तरह से खेतों में संघर्ष कर रहा है। कड़कड़ाती ठंड की रात में वह खेत सींचने के लिए नदी के किनारे बसेरा बनाकर रहता है। आँख मिचौली करती बिजली जैसे ही आती है, वह नंगे पाँव खेतों में घुसकर पानी लगाने लगता है।
इस संग्रह में कुल पंद्रह कहानियाँ हैं। हर कहानी अपने अलग तेवर के लिए जानी जाती हैं। जब पाठक इन कहानियों के बीच से गुजरेगा। मेरा मानना है कि उसे भारत के अंदरूनी दृश्य का भान होगा। मणिकर्णिका कहानी समाज की एक सच्चाई है। औरत अपनी पीड़ा का कहीं वयान नहीं कर पाती । यदि उसने मुँह खोल दिया तो उसे कुलटा की संज्ञा मिल जाती । फिर भी वह लड़ती है। अदम गोंडवी की कुछ पंक्तियाँ यहाँ उद्धृत करना चाहता हूँ। 'तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है। मगर ये आँकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है। ........लगी होड़-सी देखों अमीरी और गरीबी में । ये पूँजीवाद के ढाँचे की बुनियादी खराबी है । ' कभी-कभी हमें लगता है कि हम सच के करीब आ गये हैं, लेकिन सच तो यह है कि हम एक झूठ के संसार में ही गोता लगाते जा रहे हैं।
भूमिका से