
About the Book | |
Author of book | Prof. Ravindra Thakre |
Book's Language | Hindi |
Book's Editions | First |
Type of binding | Hardcover |
Pages of book | 191 |
Publishing Year of book | 2016 |
- Availability: In Stock
- Model: BHB-74
- ISBN: 9789385804113
About the book
प्रस्तुत पुस्तक में अनेक लेखों द्वारा स्त्री-विमर्श को जीवन्त बनाने का प्रयास किया गया है। स्त्री-जीवन की दशा और दिशा पर हमें गहराई से सोचने की जरूरत है। बाबा साहेब अम्बेडकर जी ने कहा था कि, ‘हर वर्ग की स्त्री आज दलित है।’ दलितां और सभी स्त्रियों पर होने वाले अत्याचार ने उन्हें यह कहने पर मजबूर कर दिया होगा और आज हम देखते हैं कि हर वर्ग की स्त्री पर स्त्रियों और पुरुषों द्वारा अत्याचार ढाने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। इसी के प्रतिक्रिया स्वरूप साहित्य सामाजिक बदलाव के लिए विविध रूपों में जन्म लेता रहा है- जैसे स्त्री की दशा-दिशा, भूमिकादि को कविता,कहानी, उपन्यास, नाटक, आत्मकथा, जीवनी, रेखाचित्रादि में स्त्री को विमर्शित किया जाता रहा है और आज तो तीव्र रूप में ‘स्त्री-विमर्श’ और ‘दलित-विमर्श’ के रूप में सामाजिक सोच में परिवर्तन और बदलाव आ रहा है। जाति, धर्म, संप्रदाय, पंथ, वर्ण आदि मनुष्य द्वारा निर्मित काल्पनिक जीवन प्रदाय हैं- ये न सत्याधिष्ठित हैं न तर्काधिष्ठित।
About the author
प्रा. रवीन्द्र ठाकरे
हिन्दी विभागाध्यक्ष
ला, विज्ञान व वाणिज्य महाविद्यालय, नामपुर, नासिक |