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Brand: Dr. Rekha Patsariya
About the bookविषय-प्रस्थापन, उद्देश्य, आधार बिन्दु और सीमाऔद्योगीकरण से प्रभावित कथा साहित्य का संक्षिप्त परिचयकथा साहित्य में औद्योगीकरण के प्रभाव का प्रतिबिम्बनकथा साहित्य में औद्योगीकरण के प्रभाव का प्रतिबिम्बनकथा साहित्य में औद्योगीकरण के प्रभाव की प्रतिक्रिया का स्वरूपकथा साहित्य में औद्योगीकर..
₹340.00 ₹425.00
Brand: Ram Naresh R.
दलित आन्दोलन और साहित्य मुक्ति की संघर्ष–यात्रा का अखिल भारतीय परिदृश्य निर्मित करता है । दलित स्त्री का लेखन इस परिदृश्य की धार व गम्भीरता में बढ़ोत्तरी करता है । दलित स्त्री ने इस सहस्राब्दी के प्रथम दशक में अपनी आवाज बुलन्द की है । अभी दलित स्त्री साहित्य का बहुलांश आत्मकथात्मक है । दलित लेखन के प..
₹166.00 ₹195.00
Brand: Manisha Thakkar
About the bookयह ग्रन्थ लेखक के स्वयं के लिखे हुए गम्भीर लेखों का संकलन है। इसमें दो कहानियाँ : मनुष्य को अमानुष बनाने वाली भूख के परिप्रेक्ष्य में नारी विमर्श : कुछ जरूर टिप्पणियाँस्त्री संशब्द : विवेक और विभ्रम वे दिन : यूरोप की महायुद्धत्तर दिशाहारा पीढ़ी की मूल्यहीनता को रूपायित करने वाला उपन्यास..
₹220.00 ₹275.00
Brand: Bhoomika Patel
About the bookमन्नू भण्डारी के कथा-साहित्य में व्यक्त संवेदनामन्नू भंडारी के कथा-साहित्य का शिल्प-विधानसमकालीन महिला कथा-लेखन और मन्नू भण्डारी -कृष्णा सोबती, उषा प्रियंवदा, ममता कालिया, मृदुला गर्ग, राजी सेठ, मृणाल पाण्डे, चित्रा मुद्गलउपसंहार।डॉ. भूमिका पटेल..
₹320.00 ₹400.00
Brand: Preeti Trivedi
About the bookभारतीय साहित्य, उद्भव और विकासअलका सरावगी का कृतित्व एवं व्यक्तित्वअलका सरावगी की विविध कृतियों में नारी विमर्शनारी विमर्श एवं उत्तर आधुनिकता का परिप्रेक्ष्यनारी विमर्श के सम्बन्ध में अलका सरावगी की रचना दृष्टिअलका सरावगी के समग्र कथा साहित्य का आलोचनात्मक अनुशीलनउपसंहार।About the auth..
₹400.00 ₹500.00
Brand: Dr. M.P. Vyas
प्रेमचन्द ने अपने चारों ओर फैले हुये जीवन की अनेक समस्याआंे का सही चित्रण किया है और उनका समाधान खोजा है। ‘सेवासदन’ में दहेज प्रथा, कुलीनता और वेश्या समस्या मुख्य है। ‘निर्मला’ में दहेज प्रथा, अनमेल विवाह और उनसे उत्पन्न होने वाली पारिवारिक विघटन की समस्या केन्द्र में है। ‘प्रेमाश्रम’ से ‘गोदान’ तक ..
₹396.00 ₹495.00
Brand: Dilip Mehra
About the bookहिन्दी में सामाजिक यथार्थ की परंपरा का प्रस्थान बिन्दु प्रेमचन्द का कथा-साहित्य है। प्रेमचन्द अपनी यथार्थवादी दृष्टि तथा सामाजिक सरोकारों के कारण खास तौर पर पहचाने जाते हैं। उन्होंने कल्पनात्मक प्रवृत्ति की जगह ठोस यथार्थ को महत्व दिया, संघर्षशील पात्रों की सृष्टि की तथा गति, संघर्ष और..
₹520.00 ₹650.00
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