About the Book | |
Author of book | Dr.Kireet G. Joshi |
Book's Language | Hindi |
Book's Editions | First |
Pages of book | 119 |
Publishing Year of book | 2018 |
- Availability: In Stock
- Model: BHB-367
- ISBN: 978-93-85804-31-1
सुदामाचरित काव्य का तुलनात्मक अध्ययन
कै वह टूटि–सि छानि हती कहाँ‚ कंचन के सब धाम सुहावत।
कै पग में पनही न हती कहँ‚ लै गजराजुहु ठाढ़े महावत।
भूमि कठोर पै रात कटै कहाँ‚ कोमल सेज पै नींद न आवत।
कैं जुरतो नहिं कोदो सवाँ प्रभु‚ के परताप तै दाख न भावत।
~ नरोत्तम दास
प्रत्येक मनुष्य प्रकृति, स्वभाव की दृष्टि से भिन्न-भिन्न है। हर मनुष्य की वाणी, वर्तन, व्यवहार उनके स्वभाव के अनुसार ही होता है। तुलनात्मकअध्येता का कार्य विविधता में एकता स्थापित करने का है। दूसरे शब्दोेें में कहें तो तुलनात्मक अध्येता वैश्विकता को पकड़ने तथा उसे हाँसिल करने का कार्य करता है। हमारी शिक्षा, बौद्धिक विकास के लिए अन्य लोगों की भाषाओं में लिखी गई कृतियों का अध्ययन अपेक्षित होता है।तुलना करना मनुष्य मात्र का मूल स्वभाव है। हमारी संस्कृति में भिन्न-भिन्न प्रदेशों एवं भाषाओं का साहित्य समाहित है। हम एकाधिक भाषाओं में अभिरुचि रखकर, उनकी भाषाओं को जानने और समझने की सामथ्र्य प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए तो संस्कृत में वाल्मीकि ‘रामायण’ के आधार पर भारतीय भाषाओं में अनेक रामायणों की रचना हुई हैं।
सर्वप्रथम मैैथ्यू आर्नोल्ड नामक पाश्चात्य विद्वान ने ‘तुलनात्मक’ शब्द का प्रयोग किया था। 19 वीं सदी में गोयथे ने ‘वेल्थलिटरेचर’ ग्रंथ में तुलनात्मक अध्ययन के विषय मेें बात की थी। इस सदी का ‘जर्मन स्कूल आॅफ कम्पेरेटिव स्टडी’ सबसे बड़ा तुलनात्मक स्कूल है। भारत में तुलनात्मक अध्ययन का प्रारम्भ जादवपुर विश्वविद्यालय से हुआ है।
‘तुलना’ शब्द संस्कृत की ‘तुल्’ धातु से बना है। जिसका अर्थ संस्कृत हिन्दी शब्दकोश में इस प्रकार दिया गया है-तोलना, मापना, मन में तोलना, विचार करना, सोचना।‘बृहत् हिन्दीकोश’ में इस प्रकार अर्थ दिया गया है- तौला जाना, मापित होना, तोल या माप में समान होना किसी आधार पर इस प्रकार स्थिति या आसीन होना ;जैसे तुलकर बैठनाद्ध, साधना, ठीक अंदाज के अनुसार अभ्यस्त होना, सन्न( उतार होना न्यूनाधिक का विचार, समान बराबरी, मिलान, उड़ाना, अंदाज लगाना, जाँच करना। इस अध्ययन से तुलना के तीन अर्थ प्रमुख रूप से सामने आते हैं- समता या बराबरी, न्यूनाधिक का विचार, दो या अधिक वस्तुओं के गुणदोष का विचार। उदाहरणार्थ जब हम उत्कृष्ट व्यक्ति या वस्तु की तुलना निड्डष्ट व्यक्ति या वस्तु से करते हैं निकृष्ट को ऊपर उठाते हैं और उत्कृष्ट को हल्का या तिरस्कृत करते हैं।