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Shikshapatri Prawahika
About the Book | |
Author of book | Dr. R. C. Murari |
Book's Language | Hindi, Sanskrit |
Book's Editions | First |
Type of binding | HB |
Pages of book | 112 |
Publishing Year of book | 2019 |
- Availability: In Stock
- Model: BHB-479
- ISBN: 9789385804380
₹220.00
₹300.00
भारतीय षड्दर्शन, स्मृति, धर्मशास्त्र, नाटक, काव्य, चम्पू, कथायें तथा इतिहास के अनेकानेक उत्तुंग ज्ञान की उस परा पश्यन्ती के योगियों ने भारतीय बु(जीवियों को बहुत आकर्षित किया, ऐसा विशाल यह वाङ्मय संपूर्ण रूप से सर्वत्र भरा ही दिखता है। इसी परम्परा में वीत राग संन्यासी, वैरागी, ज्ञानी भी अग्रिम पंक्ति से हटे नहीं बाँधे रखे इस महान परम्परा को, जिसे देखकर आज हम गौरव के साथ कह सकते हैं कि भारत के उन तत्व ज्ञानियों ने जो भी कुछ समाज के हित को ध्यान में रखकर लिखा, बडे़-छोटे जो भी ग्रंथ लिखे, उनमें एक लघुग्रंथ पत्रिका के रूप में नहीं ‘पत्र’ के रूप में प्रचलित हुई जिसे सारा संसार मुख्य रूप से सांस्कृतिक समाज स्वामीनारायण सम्प्रदाय ‘शिक्षापत्रि’ के नाम से जानता है।
- डॉ० रमेश चन्द्र मुरारी